आत्याधिक सोच के कारण
वर्तमान से ज्यादा भूतकाल या भविष्य के बारे में ज्यादा चिंता करना – आप जो काम अभी कर रहे हैं उससे ध्यान हटाकर अपना ध्यान बीते हुए समय या आनेवाले समय पर लगाएंगे तो आप Overthinking के शिकार होते जायेंगे।
कॉन्फिडेंस की कमी – जब व्यक्ति में किसी काम को करने के प्रति उलझन बनी रहती है तो कॉन्फिडेंस कम होता जाता है। जिसके चलते नकारात्मक विचार दिमागी को घेरना शुरू कर देते हैं और व्यक्ति ज्यादा सोचना और चिंता करना शुरू कर देता है।
डर का बना रहना – जब व्यक्ति के अंदर डर होता है जैसे – नौकरी छूटजाने का डर, प्रमोशन न होने का डर, काम में असफल हो जाने का डर, पैसे न मिलने या डूब जाने का डर। व्यक्ति इस डर को लेकर कल्पना करता रहता है, भले ही ऐसा न होने वाला हो। लेकिन धीरे धीरे यह डर उसे जरूरत से ज्यादा सोचने पर मज़बूर कर देता है।
काम का ज्यादा तनाव होना – जब वर्क लोड ज्यादा होता है तो दिमाग भी तेज़ी से चलने लगता और यह तनाव का रूप ले लेता है। और दिमाग में वो विचार भी आने लगते है तो काम से सम्बन्धी नहीं हैं और लोग Overthinking के शिकार हो जाते हैं।
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